बचपन की शरारते, वोह डोर बेल बजा कर भागना
बड़ा याद आता हैं वोह ज़माना
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पार्क की दीवार पर बैठना, वोह टाँगे हिलाना
बड़ा याद आता हैं वोह ज़माना
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नव वर्ष के कार्ड, वोह कार्ड को रंगों वाले कलम से सजाना
बड़ा याद आता हैं वोह ज़माना
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गुब्बारे फुलाना, वोह डोरी बाँध कर हवा में उड़ना
बड़ा याद आता हैं वोह ज़माना
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०१ रूपया मांगना, वोह पिग्गी बैंक में डालना
बड़ा याद आता हैं वोह ज़माना
[written by romil - copyright reserved]
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