Monday, January 3, 2011

एक इत्तिफाक और जो जाये

एक इत्तिफाक और जो जाये
काश राह चलते उनसे मुलाक़ात हो जाये...
*
आँखों से अश्खों की नदी बह जाये
ज़िन्दगी फिर तन्हाई के अंधेरों में कही हो जाये...
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लिपटा उसका दामन मेरे हाथो में - २ 
कितना कहाँ था उससे दामन समेट ले
कहीं रास्ते में यूं ही बदनाम न हो जाये...
*
डरता हूँ कहीं लोग उसे मेरी दीवानी न कहने लगी - २
हलकी सी जो उसकी आँख लगे रोमिल 
उसके शहर से अपनी रवानगी हो जाये...
[written by Romil - copyright reserved]

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