सर्द की रातों का अजब तजुर्बा मिला
वोह रही नज़रों के सामने
गर्मी का एहसास मिला...
*
फिर हवा खीच कर लायी उसे मेरे पास
कांपते हुए बदन को सहारा मिला...
*
आसमा ने भी गिरा दिए बारिश के बूँदें
छुपने को न कोइए किनारा मिला...
*
बस एक बिजली गिरी और वोह लिपट गयी मुझसे
धुंध में भी मौसम सुहाना मिला..
[WRITTEN BY ROMIL - COPYRIGHT RESERVED]
No comments:
Post a Comment