Friday, January 7, 2011

यह नुमाइश न बार-बार होगी...

मुझ पर हसना हैं तो हंस लो
यह आज़माइश न बार-बार होगी
दिल बिक रहा हैं मेरा 
यह नुमाइश न बार-बार होगी...
*
कोई दौलत लाया हैं
कोई लाया हैं जेवरात
जो खरीद सके मेरा पाक-ए-दिल
वोह दिलकश-ए-मुस्कान न जाने कहाँ होगी...
*
रही ज़िन्दगी भर यह कशमकश कि उनसे मुलाक़ात हो जाये - २ 
आज बाज़ार में खुद बैठा हूँ
वोह न जाने किस बाज़ार में होगी...
*
हज़ार तूफ़ान आये 
मगर मेरे सागर-ए-दिल से उसका नाम न मिटा सके - २
जीत लूं चाहे किसी भी हसीना को
मगर तुझे न पाकर
मेरी सिर्फ हार होगी...
मेरी सिर्फ हार होगी...
[written by Romil - copyright reserved] 

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