रिश्तों में तोह दरार आनी ही थी
रूठ कर मुझसे किस्मत जानी ही थी...
माँ न रही माँ
भाई न रहा भाई
हमसफ़र भी साथ छोड़ कर मेरा, जानी ही थी
रिश्तों में तोह दरार आनी ही थी
रूठ कर मुझसे किस्मत जानी ही थी...
मेरे मिटने का उनको गम न था
आँखों में न आंसू थे
लबों पर एक हमदर्दी का शब्द न था
ढूँढा लाख मिला न कोई एक दोस्त सच्चा
मुझे तोह दोस्तों से पथ-पथ पर ठोखर खानी ही थी
रिश्तों में तोह दरार आनी ही थी
रूठ कर मुझसे किस्मत जानी ही थी...
" रोमिल " मत करो गिला किसी से तुम
" रोमिल " मत करो गिला किसी से तुम
कच्चे घड़े हैं यह रिश्ते
बरसात में बह जाने ही थे
रिश्तों में तोह दरार आनी ही थी
रूठ कर मुझसे किस्मत जानी ही थी...
[written by romil - copyright reserved]
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