हुस्न को बेनकाब होने दीजिये
ज़रा थोडा और हमको पास होने दीजिये...
*
ऐसे न लपेटो हमको अपने बदन से - २
महबूब मेरे....
ज़रा रात को तो और चांदनी होने दीजिये...
*
यूं न झुकाओ नज़रे सनम
ज़रा नज़रों से यह मदमस्त शराब पीने दीजिये...
*
न कुछ तुम कहो
न कुछ हम कहे
यह जो हो रहा है आज होने दीजिये...
[WRITTEN BY ROMIL ARORA - COPYRIGHT RESERVED]
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