चलो लुफ्त सर्दिओं के उठाते हैं
हलके-हलके गिरती हुई ओस में कहीं बाहर हम दोनों आइसक्रीम खाने जाते हैं...
हरी भीगी हुई घास पर नंगे पैर दूर तक चलते हैं...
और
किसी सड़क की दुकान पर खड़े होकर गरमा गरम गाजर के हलवे का मज़ा लेते हैं..
यही पास की दुकान में सुना हैं
केसरी दूध, कुल्हड़ में मिलता हैं
उस पर रबड़ी डाल कर खाते हैं...
चलो लुफ्त सर्दिओं के उठाते हैं
[written by Romil - copyright reserved]
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