Friday, May 25, 2012

दिखा नहीं सूरज मगर चारों तरफ उजेला था

दिखा नहीं सूरज मगर चारों तरफ उजेला था
मुहब्बत-ए-खवाब का मैंने कैसा आसमान ओढा था
मैं लौट आया हूँ अंधेरों के सहारे  
वोह साथ नहीं थी मेरे जब घनघोर अँधेरा था
और अब उससे करता हूँ सिर्फ अश्लीलता भरी बातें
मेरी मुहब्बत को जिसने दौलत के तराजू में तौला था।

और

वही पीपल का पेड़ वही चबूतरा 
मगर दिखा नहीं माँ का डाला हुआ झूला था
करीब खेल रहा था माँ-बेटे का जोड़ा - 2
मैं पार्क के किनारे जब उदास बैठा था।

और 

उसके इतने करीब से गुज़रा मगर खबर नहीं हुई
मेरे सिवा उसकी ज़िन्दगी में कोई दूसरा भी था।

- रोमिल 

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