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Thursday, March 10, 2011

नाज़ुक

बहुत नाज़ुक है मेरा हुस्न ए यार रोमिल 
हाथ ज़ख्मी कर लेता है फूल से खेलते खेलते...

Friday, February 4, 2011

सन... सुना... सन... सुना...

सुनो न... बड़े प्यार से यह शब्द कहता था
जब-जब मैं उसके खवाबो-ख्यालों में खोया रहता था...
*
मेरे कानों पर वोह हल्का सा हवा का झोखा देता था
कभी मेरे कन्धों पर वोह अपनी नाक रगड़ देता था...
जब-जब मैं उसके खवाबो-ख्यालों में खोया रहता था...
*
जबरदस्ती वोह मेरी गोद में लेट जाता था
कभी मेरे बालों के साथ खेला करता था...
जब-जब मैं उसके खवाबो-ख्यालों में खोया रहता था...
*
ऐसी ही जोर से मुझे अपनी बाहों में भर लेता था
कभी अपनी उंगलियो को मेरी उंगलियो में जकड़ लेता था...
जब-जब मैं उसके खवाबो-ख्यालों में खोया रहता था...
*
अब मैं, सुनो न... शब्द सुनने को तरसता रहता हूँ
खुद से यही कहता हूँ
सन... सुना... इन चलती हुई हवा ने कुछ कहाँ
सन... सुना... इन बारिश की बूंदों ने कुछ कहाँ
सन... सुना... यह खुशबू कुछ कहती हैं...
सन... सुना... सन... सुना...
[written by romil - copyright reserved]

Tuesday, January 25, 2011

दिल की आरज़ू हैं कि परिंदा बन जाऊं

दिल की आरज़ू हैं कि परिंदा बन जाऊं
कभी तेरे शहर में भी आऊँ
तेरे घर की छत में बैठ के 
कभी तेरे हाथों से दाना खाऊँ...
*
चांदनी रातों में तुझे सोते हुए देखूं
सूरज की पहली किरन के साथ जागते हुए देखूं
तुझे कमरे में ठहलते हुए पाऊँ 
तेरे घर की खिड़की में बैठ के 
कभी तेरे हाथों से दाना खाऊँ...
दिल की आरज़ू हैं कि परिंदा बन जाऊं
कभी तेरे शहर में भी आऊँ...
*
यूंही किताबों के साथ लड़ते हुए देखूं
भगवान् को पूजते हुए देखूं
कुछ गुनगुनाते हुए पाऊँ 
तेरे घर के आँगन में बैठ के 
कभी तेरे हाथों से दाना खाऊँ...
दिल की आरज़ू हैं कि परिंदा बन जाऊं
कभी तेरे शहर में भी आऊँ...
[written by romil - copyright reserved]

Saturday, January 15, 2011

उफ़... वोह बरसाती रात

उफ़... वोह बरसाती रात
अकेले कमरे में दो बदन एक साथ

हवा थी जोरो पर
चारों ओर दूर तक सन्नाटा साथ

बिजली कड़कती हुई
पत्ते फडफडाते हुए
खुलती-बंद होती खिड़की का साथ

अँधेरे का फैलाना
बादलों का छा जाना 
बिजली का गुप हो जाना
जलती हुई मोमबत्ती का साथ

उफ़... वोह बरसाती रात
अकेले कमरे में दो बदन एक साथ
[written by romil - copyright reserved]

Saturday, January 8, 2011

चलो लुफ्त सर्दिओं के उठाते हैं

चलो लुफ्त सर्दिओं के उठाते हैं 
हलके-हलके गिरती हुई ओस में कहीं बाहर हम दोनों आइसक्रीम खाने जाते हैं...
हरी भीगी हुई घास पर नंगे पैर दूर तक चलते हैं...
और
किसी सड़क की दुकान पर खड़े होकर गरमा गरम गाजर के हलवे का मज़ा लेते हैं..
यही पास की दुकान में सुना हैं
केसरी दूध, कुल्हड़ में मिलता हैं
उस पर रबड़ी डाल कर खाते हैं...
चलो लुफ्त सर्दिओं के उठाते हैं
[written by Romil - copyright reserved]  

Thursday, January 6, 2011

सर्द की रातों का अजब तजुर्बा मिला

सर्द की रातों का अजब तजुर्बा मिला
वोह रही नज़रों के सामने
गर्मी का एहसास मिला...
*
फिर हवा खीच कर लायी उसे मेरे पास
कांपते हुए बदन को सहारा मिला...
*
आसमा ने भी गिरा दिए बारिश के बूँदें
छुपने को न कोइए किनारा मिला...
*
बस एक बिजली गिरी और वोह लिपट गयी मुझसे
धुंध में भी मौसम सुहाना मिला..
[WRITTEN BY ROMIL - COPYRIGHT RESERVED]   

Tuesday, January 4, 2011

हुस्न को बेनकाब होने दीजिये

हुस्न को बेनकाब होने दीजिये
ज़रा थोडा और हमको पास होने दीजिये...
*
ऐसे न लपेटो हमको अपने बदन से - २ 
महबूब मेरे.... 
ज़रा रात को तो और चांदनी होने दीजिये...
*
यूं न झुकाओ नज़रे सनम 
ज़रा नज़रों से यह मदमस्त शराब पीने दीजिये...
*
न कुछ तुम कहो
न कुछ हम कहे 
यह जो हो रहा है आज होने दीजिये...
[WRITTEN BY ROMIL ARORA - COPYRIGHT RESERVED]

Thursday, December 30, 2010

उसके इत्र की खुशबू आती रही रात भर

उसके इत्र की खुशबू आती रही रात भर
यह सर्द हवा भी कहीं दूर से उसका संदेशा लाती रही रात भर...
*
मैं चादरों में लिपटा रहा रात भर
बदन को उसकी तस्वीरों से रगड़ता रहा रात भर...
*
उसके हंसी के फूलों की महक मैं लेता रहा रात भर
खवाबों के महल में मदहोश रहा मैं रात भर..
*
चांदनी रात, सितारों का आलम आसमा में रहा रात भर
मेरे बिस्तर पर भी कोइए परी बैठी रही रात भर...
[written by Romil - copyright reserved]

Wednesday, December 29, 2010

सुनो... सनम...

सुनो... सनम...
अगर दर्द-ए-दिल बढ़ाना हैं तुमको
सनम, कभी हमको भीड़ में पुकार लेना...
*
जो रहना चाहती हो रात भर दूर नींद से
सनम, एक बार हमसे नज़ारे मिला लेना...
*

अगर लगाना चाहती हो पाक-ए-रूह में आग
सनम, दो क़दम बढ़ कर हमको गले लगा लेना...
*
जो रहना चाहती हो उम्र भर नाशे के खुमार में
सनम, अपने होंठ को मेरे होंठ से लगा लेना...
[written by Romil - copyright reserved]

Tuesday, December 14, 2010

इश्क जिनसे करते थे तोह उम्र भर निभा लेते है...

हम गरीबी में भी मोहब्बत का मज़ा ले लेते है
इश्क जिनसे करते है तोह उम्र भर निभा लेते है...
*
छत से टपकता रहता है पानी सारी रात
किसी कोने में बैठ कर हम 
एक दूसरे की बाहों में नींदे ले लेते हैं...
इश्क जिनसे करते है तोह उम्र भर निभा लेते है...
*
एक कमरा
एक रजाई 
एक कटोरी
एक चम्मच
एक पलेट में जीवन बिता देते है
इश्क जिनसे करते है तोह उम्र भर निभा लेते है...
*
टीवी, रेडियो न पास हो तोह
खुद ही बजा, 
खुद ही गुनगुना लेते है
इश्क जिनसे करते है तोह उम्र भर निभा लेते है...
*
अपने आँचल में हो चाहे कितने भी गम
हमसफ़र के होंठों पर मुस्कान सजा देते है
इश्क जिनसे करते है तोह उम्र भर निभा लेते है...
[WRITTEN BY ROMIL - COPYRIGHT RESERVED]

Monday, December 13, 2010

तुझे देख कर नशा आ जाता है....

तुझे देख कर नशा आ जाता है
यह धरती 
यह अम्बर
झूम सा जाता है....
तुझे देख कर नशा आ जाता है....
*
बारिश भी मस्त होकर बरसने लगती है
सुखी नदी पर भी जवानी का रंग का जाता है

तुझे देख कर नशा आ जाता है....
*
पहाड़ियां गुनगुनाने लगाती है
फूल पट्टियां इतराने लगाती है
टूटे हुए मकान में रूप आ जाता हैं
तुझे देख कर नशा आ जाता है....
*
सोचता हूँ तुझे मंदिर में सजा लूं
इबादत का मुझमे खुमार छा जाता हैं
तुझे देख कर नशा आ जाता है....
[Written by Romil - copyright reserved]

Sunday, December 12, 2010

सुनो नूर-ए-चाँद

सुनो नूर-ए-चाँद
चलो साथ सन्डे एन्जॉय करते हैं...
थोड़ी देर तक सोते हैं...
आज साथ ही नहाते हैं...
ब्रेकफास्ट को भूल जाते हैं... 
दोपहर में चलो मूवी देखने जाते हैं...
बाहर ही दोपहर का खाना खाते हैं...
शाम की चाय आज में ही बनाऊंगा
तुम पकोड़े बना लेना...
चलो रात का खाना साथ मिल कर बनाते हैं...
जलती हुए मोमबत्तियों के बीच एक दूसरे को अपने हाथो से खिलाते हैं...
कमरे को आज रात फूलों से सजाते हैं...
बाहों में बाहों डाल कर सोते हैं...
चलो जान सन्डे एन्जॉय करते हैं...
[written by Romil - copyright reserved]

Friday, December 10, 2010

चाँद कहो तोह...

ओ नूर-ए-नज़र चाँद
चाँद आप कहो तोह...
आपके कानो में झुमका पहना दूं...
चहरे पर आती हुई लट को हटा दूं...
दिल-ए-आरज़ू यह भी है 
आपको पायल पहना दूं...
गुस्ताखी तो यह भी करने को मजबूर-ए-दिल चाह रहा है 
आपके बालों में गुलाब लगा दूं...
देखो कहीं न सीडियो पर आपका पैर फिसल जाये
आपको बाहों में उठा दूं...
देखो बीत न जाये यह रात आँखों में 
आपको, अपनी गोद में सुला दूं.. 
चाँद आप कहो तोह...
[WRITTEN BY ROMIL - COPYRIGHT RESERVED]

Thursday, December 9, 2010

जैसे...

मेरे माथे पर उसका लब
सितारा हो जैसे...
मैं उसमे समांऊ  
गुलाब में भवरा हो जैसे... 
*
चाँद की चांदनी 
उसका आँचल हो जैसे
मैं आँखों में खो जाऊ
सुनहेरा खवाब हो जैसे...
*
उसकी करवट से जाग जाये
सूरज हो जैसे...
मैं उसके खयालो में खो जाऊ
बादल में छुपा चाँद हो जैसे...
*
उसके गेसू से उलझा रहूँ
काँटों में फसा दुपट्टा हो जैसे...    
मैं बेमौसम ही बरस जाऊ
धुप में बरसात हो जैसे...
[written by Romil - copyright reserved]

इस सर्दी के मौसम में बर्फ सी होगी.

जब वोह अकेली होगी
इस सर्दी के मौसम में बर्फ सी होगी.
जब मेरे एहसास से लिपटी होगी
पानी सी पिघल गए होगी...
*
चाँद को देखा होगा इतराते हुए  
घूँघट में धक् गए होगी.
तस्वीर को मेरी चुमते हुए
इंतज़ार कर रही होगी...
*
गहनों से सजी सवरी होगी
पायल भी उसकी खनक रही होगी.
जब किसी ने दरवाज़ा खटखटाया होगा
सीडियो से दौर कर उतरी होगी...
*
मुझे न देख कर 
नज़ारे नीचे की होगी
फिर वोह तनहा छत पर गए होगी
इस सर्दी के मौसम में बर्फ सी होगी.
[written by Romil - copyright reserved]

Thursday, December 2, 2010

हॉट n स्वीट COMBINATION कैसे...

माँ - डैड
यह हॉट n स्वीट COMBINATION कैसे?
डैड आप ATOM BOMB
और माँ आप COCONUT...
===
ओह माँ - डैड
यह लव कैसे हुआ हमको भी तोह कुछ बताओ...
कैसे मिले नैन
कैसे जुड़े दिल
हमको भी तो कुछ बताओ...
===
कैसे शुरू हुई प्यार की कहानी
कैसे मिलाना हुआ
ओह माँ - डैड   
यह लव कैसे हुआ हमको भी तोह कुछ बताओ...
कैसे मिले नैन
कैसे जुड़े दिल
हमको भी तो कुछ बताओ...
===
अब यह पूछो यह कब हुआ
जाने भी दो तुम मेरी प्यारो
===
डैड आप हो हॉट 
माँ हैं स्वीट 
कैसे यह COMBINATION हुआ
===
एक तरफ ATOM BOMB
एक तरफ COCONUT
कैसे यह COMBINATION हुआ
===
अब यह पूछो यह कब हुआ
जाने भी दो तुम मेरी प्यारो
[inspired - written by romil - copyright reserved] 

Wednesday, December 1, 2010

वोह पेड़ बूढा है फिर भी घना रहता है...


उम्र के आखिरी पलों में जब हम-तुम और सिर्फ यादें होंगी...
-------------------
यादों का घर कितना सुहाना लगता है
वोह पेड़ बूढा है फिर भी घना रहता है...
*
वक़्त के पाँव कब रुकते है
चहरे बदल जाते है
तस्वीरों से रिश्ता जुडा रहता है
वोह पेड़ बूढा है फिर भी घना रहता है...
*
आँख तो भर आती है पानी से
होंठो पर कमल सा खीला रहता है
वोह पेड़ बूढा है फिर भी घना रहता है...
*
गाँठ बंधी जो रिश्तों की
टूटे न टूटी
जीवन का पहिया इस पर ही चलता रहता है
वोह पेड़ बूढा है फिर भी घना रहता है...
*
वोह मेरा ख्याल रखती है
मैं उसका ख्याल रखता हूँ
बस यूं ही अपना इश्क चलते रहता है
वोह पेड़ बूढा है फिर भी घना रहता है...

जिस्म का साथ छूता
बुढ़ापे का हाथ थामा  
दिल से जुडा हर फ़साना रहता है...
वोह पेड़ बूढा है फिर भी घना रहता है...
[WRITTEN BY ROMIL - COPYRIGHT RESERVED]

Tuesday, November 30, 2010

ओह्ह्ह मेरे यार...

यूं भी कुछ पल होंगे अपने...
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एक काफी
और सर्दी की रात
कम्बल में हो हम दोनों साथ
और बजे प्यार की गिटार
ओह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
*
एक छत्री
और बारिश हो लाजवाब
हाथो में पकडे दोनों हाथ
साथ में बादल मारे जोर से किक  
और बजे प्यार की गिटार
ओह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
*
एक आइस क्रीम  
और चांदनी रात
बेंच पर बैठे हो हम दोनों पूरी रात
और बजे प्यार की गिटार
ओह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
*
एक साइकिल
और सुहानी शाम
पहाड़ों पर चलते रहे हम बस यूं ही यार
और बजे प्यार की गिटार
ओह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
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Saturday, November 27, 2010

काफी की याद न आई हो...

७५ साल ज़िन्दगी के.... तुम्हारे साथ छु मंतर हो गए...
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इतने साल हो गए
अपने सर के बाल भी कम हो गए
मगर ऐसी कोइए शाम नहीं ढली
जब तुम्हारे हाथ से बनी
काफी की याद न आई हो...
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मेरे आने का पता तुम्हे न जाने कैसे चल जाता था
जैसे ही बैग रखू  
"काफी रेडी है हुजुर ए आला"
तुम्हारा यह खूबसूरत शब्द मेरे कानो तक पहुच जाता था...
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न्यूज़ पेपर, मैगजीन तुम मुझे पढ़ने नहीं देती थी
बस मेरी ही दिन भर की बातें तुम मुझसे पूछा करती थी...
सच कहू तोह...
तुम्हारे हाथो के बने पकोड़ों,
इमली की चटनी के साथ
लाजवाब होते थे...
पता नहीं तुम कैसे ५ मिनट में बना लाती थी... 
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वोह शाम भुलाये न भुलाये जाती है
ज़िन्दगी के ७५ साल में भी याद आती है
तेरे हाथों से बनी काफी की याद आती है...
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Friday, November 26, 2010

ज़िन्दगी की जो बोतल हैं...

ज़िन्दगी की जो बोतल हैं
बड़ी रंगीन
बड़ी खूबसूरत हैं
ज़िन्दगी की जो बोतल हैं...
*
बड़े अंदाज़ से पी हैं
थोड़ी मीठी
थोड़ी कड़वी हैं
ज़िन्दगी की जो बोतल हैं...
*
बहुत सी यादें भरी है
खवाब समेठे पड़ी है
ज़िन्दगी की जो बोतल हैं...
*
कभी रूठ कर न खाना, खाना तुम्हारा
कभी अपने हाथो से तुमको खाना खिलाना हमारा
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कभी तकिया संग लड़ना तुम्हारा
कभी तेरी गोद में सोना हमारा
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कभी मेरी सविंग करना तुम्हारा
कभी तुझको चूड़ी, पायल पहनाना हमारा
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कभी माँ के संग हसना तुम्हारा
कभी माँ की दांत सुन कर रोना तुम्हारा
---
न जाने ऐसे कितने किस्से कहानी लपटे हुए है
ज़िन्दगी की जो बोतल हैं...
बड़ी रंगीन
बड़ी खूबसूरत हैं
ज़िन्दगी की जो बोतल हैं...
[COPYRIGHT RESERVED]