Saturday, September 25, 2010

जरूरतों ने मुझे कुछ इस तरह जकड़ा

जरूरतों ने मुझे कुछ इस तरह जकड़ा
मैं घर लौट कर ना आ सका.
ख्वाइशों के मुक़द्दर में था डूब जाना
एक तिनके का सहारा न कोई दे सका.

#रोमिल
  

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