Thursday, October 21, 2010

लोग कहते हैं मैं...

शहर की चकाचौन्द से दूर रहा
लोग कहते हैं मैं गाँव के करीब रहा...
*
न नाम, न दौलत, न शोहरत मिली
लोग कहते हैं मैं इमानदार रहा...
*
कतरा कतरा के रहा मैं अजनबियों से
लोग कहते हैं मैं मगरूर रहा... 
*
जो मिलना बंद कर दिया मैंने दोस्तों से
लोग कहते हैं मैं किसी की याद में गिरफ्तार रहा...
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2 comments:

  1. fntastic LM

    Wafa ke duniya me humse GAREEB na pucho,
    ik dard-e-dil hai,
    wo bhi kisika diya hua

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  2. WoW... SUPERB... RABBA RAKHA JEE...

    KHUSH RAHO JEE...
    *
    meri waafa-e-nazar mein woh aaj bhi AMEER hai
    yeh alag baat hai mujhko woh waafa-e-nazar main GARIB karke chale gaye...

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