Sunday, October 24, 2010

बड़ी मुद्दत के बाद उनसे सलाम लिया

बड़ी मुद्दत के बाद उनसे सलाम लिया
न चाहते हुए दिल ने उनका पैगाम लिया...
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हर एक ख़ुशी गम के दामन के साथ बंधी रही
मेरी खुशियूं ने इस तरह मुझसे इन्तेकाम लिया...
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नसीब को कोसे या फिर अपनों को दे इलज़ाम
लाख रंजिश रही फिर भी दुश्मनों का साथ लिया...
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खुदा से अब बात करने को जी नहीं चाहता हैं
मेरी बर्बादी की हर दुआ को काबुल कर लिया...
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