Tuesday, October 26, 2010

इसलिए तुमको लिख रहा हूँ....

मैं अपने फ़र्ज़, कर्त्तव्य से पीछे नहीं हट सकता गुन... इसलिए तुमको लिख रहा हूँ....
मैं तो पागल हूँ, यह मुझे पता हैं...
जानती हो गुन... ज़िन्दगी बहुत अजीब हैं... सब बदल जाते हैं... वक़्त के साथ सब कुछ बदल रहा हैं... जरुरत बदल जाती हैं... खवाइश बदल जाती हैं... पता नहीं क्यूँ मैं बदल नहीं पाता हूँ??? कभी कभी लगता हैं वाहेगुरु जी ने मुझे बहुत अजीब बनाया हैं...

१००% आज एक बात सच बोलू...
मुझे आज भी यह यकीन नहीं हुआ हैं की तुम इस दुनिया में नहीं हो... मुझे नाज़ का भी नहीं यकीन हैं... लगता हैं तुम दोनों मुझे कही से देख रही हो... सच्ची...
तुम दोनों का इतेफाक कितना अच्छा हैं न मैं रुक्सती के दिन तुमसे मिल सका न मैं नाज़ से मिल सका था...

मुझे नहीं पता यह मोहब्बत हैं या मेरे दिमाग का खलल... मगर यह सच हैं तुम्हारी याद मेरी आँखों में आंसू ले आती हैं... तुम्हारे बिना मेरी ज़िन्दगी में कुछ कमी सी लगाती हैं... ऐसा लगता हैं जैसे मेरे जिस्म से कुछ निकल सा गया हैं....
मैं बार बार सोचता हूँ क्या कमी हैं... मगर खुद को बतला नहीं पाता हूँ...

वैसे तो मूवी देखता हूँ... जोक करता रहता हूँ... ऑफिस आता हूँ... टीवी भी देखता हूँ... किताबे पड़ता हूँ... दिन भर व्यस्था भी रहता हूँ.. मगर फिर भी एक कमी सी लगती हैं... यह कमी क्या हैं मैं नहीं समझ पता हूँ???

चलो छोड़ो बाबा... 

वैसे हमेशा खुश रहो... वाहेगुरु मैहर करे आप पर...  

2 comments:

  1. very touchy aproach dear,

    kmi ehsaas ke hai jnb,tum ehsas krte ho ke wo hai, par wo ehsaas dila nahi pati ke wo hai,q ke wo nahi hai, bki hr insan ke zndgi me koi na koi km rh jti hai,zndgi naam hai uss kmi ke sath jene ka,to jeeo jnb, khoob dil kolker, jeo

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  2. u really wanted this, oh god,
    i thought aap jolly good personality ho,
    well if u want this, main kbhi nahi likhungi aapke blog me aaj ke baad,

    sorry for the inconvinence u had just coz of me

    take care

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