Saturday, October 16, 2010

ऐसे ही हम दूसरों पर मुस्कुरा लेते हैं...

ऐसे ही हम दूसरों पर मुस्कुरा लेते हैं...
जब गम सताते हैं अपने बुरे दिन बहुत याद आते हैं...
*
आइना के सामने जब अपनी पहचान पूछते हैं...
खुद की नज़रों में गिर हम जाते हैं...
*
हम अक्सर उसकी बेवफाई भूल तो जाते हैं...
मगर जब वोह याद आते हैं आँखों में आंसू आ जाते हैं...
*
खुद को खिलौना कहे या दिल बहलाने का सामान
उनसे जब यह बात पूछने जाते हैं वोह कतरा के निकल जाते हैं...
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1 comment:

  1. muskurane ke adat bhi badi mehangi padi hum ko,

    chod gaya wo ye soch kr ke hum judai me bhi khush hain

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