Saturday, January 22, 2011

जब - जब मैं बेईमानी की गली से गुज़रा

जब - जब मैं बेईमानी की गली से गुज़रा
खुदा क़सम मैं तब - तब अपनी कब्र से गुज़रा...
*
न कोई गवाह था मेरे खिलाफ
न कोई सबूत था मेरे खिलाफ  
फिर भी सबने मुझे कातिल समझा
जब - जब मैं लाश के बगल से गुज़रा...
*
अब किस बात का जश्न मनाते हो, मेरे दुश्मनों
मैं तो सूली पर चढ़कर भी शहीद निकला...
*
जो फिरता हैं बनकर मसीहा
वो ही मेरी बर्बादी का गुनेहगार निकला...

#रोमिल

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