जब - जब मैं बेईमानी की गली से गुज़रा
खुदा क़सम मैं तब - तब अपनी कब्र से गुज़रा...
*
न कोई गवाह था मेरे खिलाफ
न कोई सबूत था मेरे खिलाफ
फिर भी सबने मुझे कातिल समझा
जब - जब मैं लाश के बगल से गुज़रा...
*
अब किस बात का जश्न मनाते हो, मेरे दुश्मनों
मैं तो सूली पर चढ़कर भी शहीद निकला...
*
जो फिरता हैं बनकर मसीहा
वो ही मेरी बर्बादी का गुनेहगार निकला...
#रोमिल
No comments:
Post a Comment