रोमिल V/S रोमिल
रोमिल१ - बुढ़ापा... कैसे जीना पसंद करेंगे?... भाई, आप क्या कहोगे???
रोमिल २ - तुम्हारी, इस बात पर मुझे याद आया... हमारे लखनऊ के आम बहुत मशहूर हैं... और बहुत किस्म के आम मिलते हैं... हर किस्म का अलग-अलग स्वाद होता हैं...
इसी पर कुछ बात कहने की कोशिश करूँगा...
ज़िन्दगी का हर पढाव, आम की किस्म की तरह हैं... हर पढाव में अलग - अलग स्वाद आता हैं... हर पढाव में अलग रस होता हैं...
और मैं हर पढाव का रस लेना चाहता हूँ... अभी २९ साल का हूँ तोह २९ साल वाला रस ले रहा हूँ... और जब ४० साल का होंगा तोह ४० उम्र वाला रस लूँगा...
अभी २९ साल का हूँ... मगर जब ४० का होंगा तोह बहुत बदल जाऊंगा... और जब ६० का होंगा तोह शायद और बदल जाऊंगा... जैसे...
- अभी मेरे शब्दों में, बोल चाल की भाषा में परिपक्ता नहीं है... शायद ४० की उम्र तक आते - आते कुछ हो जाये... और मैं लाने की कोशिश भी करूँगा... और ६० की उम्र तक शायद बहुत ज्यादा परिपक्ता हो जाये...
अभी २९ की उम्र में परिपक्ता के साथ बोलता हूँ... तोह लोग दादा जी कहने लगते है... या फिर यह समझा जाता है की "नीम हकीम, एड्स का इलाज बता रहा है"
- हमको मैनेजमेंट में ड्रेस स्टाइल सीखाई जाती है... अभी २९ की उम्र का हूँ तोह जीन्स, टी-शर्ट भी पहन लेता हो... मगर ४० की उम्र में जब होंगा तोह शायद कोट पेन्ट पहनना पसंद करूँगा और ६० की उम्र में कुर्ता पजामा... यह मेरी व्यक्तिगत चोइस है... हो सकता है और लोग ६० की उम्र में भी जींस पसंद करे... लोगों को वही पहनना चाहिए जिसमे उनको मन से ख़ुशी मिले...
वैसे मुझे यह लगता है इंसान अपनी उम्र के हिसाब से जब ड्रेस पहनता है तोह बहुत ज्यादा खूबसूरत लगता है और अपनी एक अच्छी छवि दिखाता है... एक लीडर, एक मेनेजर की तरह दिखता है...
- बुढ़ापे का एक अलग ही रस होता है... सच्ची मुझे लगता है...
* जब आप एक घर के लीडर ही तरह होते है...
* जब प्यार से कोइए आपके पैर दबाता है... आशीर्वाद लेता है...
* जब घर, मोहल्ले की सब लोग आपको कितना ज्यादा सम्मान देते है... सब आपकी बात का कितना रेस्पेक्ट करते है...
* घर में आपसे पूछ कर हर काम किया जाता है... आपकी घर में कितनी ज्यादा धमक होती है...
* जब हम अपनी मुख्य जिम्मेदारिया निभा चुके होते है और मन से खुश होते है... एक आज़ादी की ज़िन्दगी जीते है... दिमाग से फ़िक्र को भगा चुके होते है...
* जब हम अपनी मेहनत के पेड़ (परिवार) को अपनी आँखों के सामने बढाता हुआ देखते है...
* जब हम अपने किस्से कहानी, घर के बच्चों को मज़े के साथ सुनते है...
* जब हम रोज की भाग दौड़ से निकल कर एक आराम की ज़िन्दगी जीते है...
मन से सुन्दर रहो यार...
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