Monday, June 20, 2011

क्यूंकि मेरी भैंस अकेली है...


नाज़ हम आपको एक टाइम पास सुनाते है... "क्यूंकि मेरी भैंस अकेली है"...

रोमिल V/S रोमिल  

रोमिल१ - What's ur expectation in true love?? 
रोमिल २ - एक कहानी सुनाता हूँ...

योधा - एक बार... एक योद्धा, एक राज्य के राजा को ललकारता है और कहता है, "कोइए है तेरे राज में जो मुझसे लड़ सके???... अगर नहीं तोह, तू यह राजगद्दी छोड़ दे... 

राजा - तब राजा, अपने राज्य के बड़े - बड़े महान योद्धा को उस योद्धा से लड़ने को भेजता है... मगर सभी राजा के योद्धा हार कर वापस आ जाते है...

तब राजा खुद को अपमानित समझता है... और राजगद्दी छोड़ने को तैयार हो जाता है... 

सैनिक - तभी एक सैनिक कहता है राजा, आपके राज्य में एक भैंस चलाने वाला है जो इस योद्धा को हारा सकता है... दुबला पतला है मगर वोह बड़े बड़े योद्धा से भी महान है... 

राजा - थोड़ी देर सोचता है... फिर कहता है चलो इसको भी देख लेते है... 

तब सैनिक हाथी, घोडा लेकर उसको बुलाने जाते है... 

भैंस चलाने वाला - मगर वोह भैंस चलाने वाला कहता है, मैं नहीं आ सकता, "क्यूंकि मेरी भैंस अकेली हो जायेंगे"... 

राजा - तब राजा खुद उसको बुलाने जाता है, और सारी कथा उसको सुनाता है... 

भैंस चलाने वाला - मगर वोह कहता है, मैं नहीं आ सकता, "क्यूंकि मेरी भैंस अकेली हो जायेंगे"...

राजा - कहते है, तुम चिंता न करो... सैनिक देखेंगे तुम्हारी भैंस को... 

भैंस चलाने वाला - सैनिक देखेंगे... न बाबा न... "बड़े प्यार से पाली है मैंने भैंस"...

राजा - अच्छा बाबा... महारानी तुम्हारी भैंस की सेवा करेगी... 

यह सुन कर भैंस चलाने वाला युद्ध करने को तैयार हो जाता है...

भैंस चलाने वाला - तभी थोड़ी दूर चलने के बाद भैंस चलाने वाला वापस लौटने लगता है...

राजा - कहते है, वापस क्यों जा रहे हो??? क्या हुआ???  

भैंस चलाने वाला - मैं चला गया तोह "मेरी भैंस भूखी रह जायेंगे... कौन उनको चारा देगा??? कहाँ वोह चारा खाने जाएँगी??? कौन उनको घुमाने ले जायेगा???"

राजा - सैनिक नहीं... मेरे युवराज उसको चारा देंगे... और घुमाने भी ले जायेंगे... राज्य में जहाँ चाहे वोह चारा खा सकती है... जिसके खेत में चाहे वोह चर सकती है...

भैंस चलाने वाला - तोह ठीक है...

युद्ध स्थल पर...

भैंस चलाने वाला - कहाँ हो भैया??? जल्दी आओ... जल्दी से तुमको पटके और हम चले... "क्यूंकि मेरी भैंस अकेली है"... 

योद्धा - गुस्से में बाहर निकलते हुए... जोर से बोलते हुए... कौन है??? तभी देखता है एक पतला दुबला सा आदमी लुंगी पहने हुए खड़ा है... उसको देख कर योद्धा जोर से हँसाने लगता है...

भैंस चलाने वाला - हंसो नहीं... आओ तुमको जल्दी से पटके और हम चले... "क्यूंकि मेरी भैंस अकेली है"...

युद्ध शुरु हुआ...  

भैंस चलाने वाला - अपनी लुंगी उपर की... योद्धा को अपने दोनों हाथों में उठा लिया और राजा से बोला इसको कहाँ पटके??? जल्दी बोलो... "क्यूंकि मेरी भैंस अकेली है"...

राजा - ज़मीन पर...

भैंस चलाने वाला - जोर ने पताका और लुंगी नीची की और बोला... अब चलते है... "क्यूंकि मेरी भैंस अकेली है"...

राजा - भैया... अपना लाखों का इनाम तो लेते जाओ...

भैंस चलाने वाला - किसी सैनिक के हाथ घर भेजवा देना... हमको बहुत जल्दी है... "क्यूंकि मेरी भैंस अकेली है"...

बस इस भैंस चलाने वाले की तरह हमारी भी कोइए केयर करे... 

मन से सुन्दर रहो...

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