Thursday, June 2, 2011

उससे मुलाक़ात का अरमान सजा रखा है...

उससे मुलाक़ात का अरमान सजा रखा है
मैंने किताब में आज तक उसका दिया गुलाब छुपा रखा है...

दुनिया-ए-जहाँ कहती है क्यों नहीं जला देते उसके ख़त 
मैंने जीने के लिए दर्द का सामान छुपा रखा है...

लोग कहते है उसकी आँखों में गहराई बहुत है
शायद उसने ज़िन्दगी-ए-ग़म आँखों में छुपा रखा है...

उसके बिना कट ही जाएगी ज़िन्दगी रोमिल
यह बात कह - कह कर मैंने दिल को बहला रखा है...

#रोमिल

No comments:

Post a Comment