Saturday, October 8, 2011

बचपन में ही

बचपन में ही सर से माँ - बाप का साया उठा गया
जिंदा ही अपना जनाज़ा उठ गया
मजबूरियों ने इस क़दर क़ैद करके रखा रोमिल 
ख्वाहिशों का समुन्दर बह गया...     

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