आइना में देखो तो चेहरा निखर जाता है
दिल पे कोइए नया ज़ख्म जब लग जाता है...
और
वोह देखो आज कल कितने सजने सवरने लगे है
कोइए अजनबी रात में घर आता है
दरवाज़ा बंद हो जाता है
सुबह सूरज की पहली किरण के साथ कोई निकल जाता है.
रोमिल, हमारे लखनऊ में आज भी इश्क चुप-चुप के होता है...
अल्लाह जाने...
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