Saturday, November 19, 2011

सब कुछ तो है...बस तू नहीं...

दिसम्बर की सर्द रातें
मैं अकेला तन्हा चलता हुआ
उस पर तेरे यादों की रहातें
सब कुछ तो है...बस तू नहीं...
~
तेरी उदासियाँ भी देती है मुस्कुरातें
तेरा ख्याल भी क़माल है
सब कुछ तो है...बस तू नहीं...
~
सर्दी में कपकपाते बदन
उस पर गिरती हल्की-हल्की बर्फ की चादरे
सब कुछ तो है...बस तू नहीं...
~
मस्त होकर चलती ठंडी-ठंडी यह पवन
और उस पर उड़ते यह पत्ते सड़को पर
सब कुछ तो है...बस तू नहीं...
~
नदियों में बहता यह ठंडा-ठंडा पानी
किनारों पर करवटे लेता हुआ
सब कुछ तो है...बस तू नहीं...
~
दिसम्बर की सर्द रातें
मैं अकेला तन्हा चलता हुआ
उस पर तेरे यादों की रहातें
सब कुछ तो है...बस तू नहीं...
रोमिल एक बस तू नहीं...

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