गरीबों का तमाशा बना देती है
जब सरकार उसे परिभाषा देती है.
कभी गरीबी रेखा के नीचे
तो कभी सस्ता अनाज देने की योजना के नाम पर
सड़ा-गला अनाज गोदामों को उपलब्ध करवा देती है.
गरीबों का तमाशा बना देती है...
कभी मकान के नाम पर, बिना प्लास्टर की चार दीवारें खड़ा कर देती है.
तो कभी बिना छप्पर के शौचालय बनवा देती है.
जब सरकार उसे महापुरुषों की योजना बना देती है.
गरीबों का तमाशा बना देती है...
बिना अध्यापक के स्कूल
तो कभी पोषाहार के नाम पर उपस्थिति दिखा देती है.
बिना डॉक्टर के हॉस्पिटल
तो कभी फर्जी टीकाकरण, प्रसव दिखा देती है.
जब सरकार उसे राष्ट्रीय योजना का नाम देती है.
गरीबों का तमाशा बना देती है...
गरीबों का तमाशा बना देती है...
गरीबी न जाने कितने सालों से किसानो को खाती चली आई है
सरकार जी.डी.पी. के नाम पर देश का विकास दिखाती आई है
गरीबों का तमाशा बना देती है
जब सरकार देशवालों को विकास की हरियाली दिखा देती है.
गरीबों का तमाशा बना देती है
रोमिल, जब सरकार उसे परिभाषा देती है.
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