आँगन में तुलसी जब खिलती है
माँ की याद बहुत आती है...
जब चिड़ियाँ द्वार पर चिचिहाती है
माँ की याद बहुत आती है...
***
सुखमनी साहिब के शबद जब सुनूँ
कुर्सी पर बैठी माँ की झलक नज़र आती है...
गैस के चूल्हा पर जब खीर पके
माँ की याद बहुत आती है...
***
दरवाज़े की घंटी जब बजाऊँ
ऐसा लगता है माँ दौड़ी चली आती है
तकिये पर जब सर लगाऊं
माँ की गोद बहुत याद है
माँ की याद बहुत आती है...
***
सूनापन घर में फैला रहता है
खिड़की से भी सूरज नज़र नहीं आता है
अँधेरा मन में छाया रहता है
आँखों से जल बह जाता था
रोम - रोम माँ पुकारता है...
माँ की याद बहुत आती है...
रोमिल माँ की याद बहुत आती है...
माँ की याद बहुत आती है...
जब चिड़ियाँ द्वार पर चिचिहाती है
माँ की याद बहुत आती है...
***
सुखमनी साहिब के शबद जब सुनूँ
कुर्सी पर बैठी माँ की झलक नज़र आती है...
गैस के चूल्हा पर जब खीर पके
माँ की याद बहुत आती है...
***
दरवाज़े की घंटी जब बजाऊँ
ऐसा लगता है माँ दौड़ी चली आती है
तकिये पर जब सर लगाऊं
माँ की गोद बहुत याद है
माँ की याद बहुत आती है...
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सूनापन घर में फैला रहता है
खिड़की से भी सूरज नज़र नहीं आता है
अँधेरा मन में छाया रहता है
आँखों से जल बह जाता था
रोम - रोम माँ पुकारता है...
माँ की याद बहुत आती है...
रोमिल माँ की याद बहुत आती है...
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