Wednesday, January 25, 2012

माँ वोह होती है...

मेरी सारी गलतियों को अपने दुपट्टे में छुपा लेती है
माँ वोह होती है, जो इंसान बनना सीखा देती है...
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चेहरा देखकर मेरा उदासी भाप लेती है
माँ वोह होती है, जो होंठों पर कमल खिला देती है...
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मैं घर समय से ना आऊं तो रास्ते पर नज़र लगाये रहती है
माँ वोह होती है, जो दुआ से यम को भी भगा देती है...
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मेरी आँखों में आये आंसू यह होने नहीं देती है
माँ वोह होती है, रोमिल, मांगने से पहले ही खवाइश पूरी कर देती है... 

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