कैसे कहूँ की माँ क्या है
शब्दों में पिरो सकूं, मुझमें ऐसी काबिलियत कहाँ है.
परमात्मा का रूप या सृष्टि की सबसे मूल्यवान रचना कहूँ
काशी, काबा या तीर्थ स्थान कहूँ
त्याग, तपस्या या सेवा की देवी कहूँ
ममता, पालन-पोषण या परिवार का अनुशासन कहूँ
गुरु, आदर्श या मार्गदर्शक कहूँ
बच्चों के लिए खिलौना, खुशियों का लिफाफा या लाखों आशीर्वादों, दुआओं का संसार कहूँ
कैसे कहूँ रोमिल की माँ क्या है
शब्दों में पिरो सकूं, मुझमें ऐसी काबिलियत कहाँ है.
#रोमिल
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