Monday, March 5, 2012

सोच रहा हूँ इस बार होली कुछ इस तरह मनाऊँ...

ये मेरी राधा...
ओह राधा
सुनो न राधा...

एक संगेमरमर की मूर्ति तेरी बनाऊँ
उसे लाल, गुलाबी, पीले, नीले, हरे रंगों से सजाऊँ
सोच रहा हूँ इस बार होली कुछ इस तरह मनाऊँ...

सफ़ेद रंग का सलवार कुर्ता
सफ़ेद रंग की तुझे चुनरी पहनाऊँ
लाल रंग की तुझे मारू पिचकारी
गुलाबी रंग का गुलाल लगाऊँ
सोच रहा हूँ इस बार होली कुछ इस तरह मनाऊँ...

तेरे स्वागत में घर के दरवाजे पर रंगोली सजाऊँ
तुझ पर फूलों की वर्षा करवाऊँ
अपनी हाथों से तुझे गुजिया खिलाऊँ
रोमिल की तुझे अर्धांगिनी बनाऊँ
सोच रहा हूँ इस बार होली कुछ इस तरह मनाऊँ...


SOURCE: CHAPTER CLOSED 

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