दर्पण का मोह नहीं
जवानी की जिसे परवाह नहीं
रूप श्रृंगार का वक़्त नहीं
माँ के पास फुर्सत के क्षण नहीं हैं.
बच्चों के भविष्य को संवारे
घड़ी के कांटो संग भागे
अपने सपनों का महल जलाये
समर्पण की दीवानी है.
श्रम की कहानी लिखती
हर पल परीक्षा की घड़ी पर खड़ी
मुसीबत से लड़ती
हर घर की प्रगति है.
शौक जिसके धूमिल है
जो सब्र की मूरत है
प्यार का सागर है जो
ऐसी हस्ती को शत-शत नमन है.
#रोमिल
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