मेरी बातों के भँवर में फँसकर तो सब खीचे चले आते हैं
कहाँ है वोह लोग जो रूह की तड़प में मरे चले आते है
और मेरे आसपास रहता है हमेशा राजकुमारियों का जमघट
फिर भी न जाने क्यों यह कदम उस बंजारन के दर पर खीचे चले जाते हैं।
और
मेरी माँ ने उस उम्र में मेरा साथ छोड़ा है
जिस उम्र में बच्चे माँ को खुशियाँ नसीब करवाते हैं
न जाने यह जीस्त कब मिट्टी में मिलेगी
माँ के पास जाने के लिए यह मन के पंछी फड़फड़ाते हैं।
और
मेरे इज़हार-ए-मुहब्बत पर इतना यकीन न करो
यह वोह दीये है जो नदी में छोड़े तो जाते है मगर जल्दी ही डूब जाते है।
- रोमिल
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