Thursday, September 27, 2012

बसाये अपनी दुनिया हम दोनों जहाँ से दूर

बसाये अपनी दुनिया हम दोनों जहाँ से दूर
इस मुहब्बत-ए-ज़ालिम दुनिया से दूर
उस तकदीर-ए-मालिक खुदा से दूर

चारों तरफ फैला हो खुशियों का बगीचा
हम-तुम रहे सदियों तक खिज़ा से दूर

मेरी झुकती नज़रों ने वो काम कर दिया
जिससे रहे मेरे लब-ओ-जुबान मीलों दूर

बहुत देख लिए है हमने-तुमने जुदाई के बसंत
अब मिलन हो जाये
न रहो तुम हमसे दूर, न रहे हम तुमसे दूर.

#रोमिल

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