Wednesday, September 5, 2012

Kisi roz...

kisi roz apne pehlu mein mujhe sulao to sahi
kisi roz chamakti bijliyon se darr kar mujhse lipat jao to sahi
kisi roz haath thame mera saagar kinare baitho to sahi
kisi roz mere sang mandir ki ghanti bajao to sahi
kisi roz mere haathon se khana khao to sahi
kisi roz mujhe pyar se neend se jagao to sahi
kisi roz gusse mein aa mujhse lad jao to sahi
kisi roz pyar sang raat bitao to sahi.

#Romil

किसी रोज़ अपने पहलू में मुझे सुलाओ तो सही 
किसी रोज़ चमकती बिजलियों से डर कर मुझसे लिपट जाओ तो सही
किसी रोज़ हाथ थामे मेरा सागर किनारे बैठो तो सही
किसी रोज़ मेरे संग मंदिर की घंटी बजाओ तो सही
किसी रोज़ मेरे हाथों से खाना खाओ तो सही
किसी रोज़ मुझे प्यार से नींद से जगाओ तो सही
किसी रोज़ गुस्से में आ मुझसे लड़ जाओ तो सही
किसी रोज़ प्यार संग रात बिताओ तो सही.

#रोमिल

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