लौट आने का कोई वादा तो नहीं किया था तुमने
फिर मुझे यह इंतज़ार किसका है.
सालों बीत चुके है पर तुमने कभी रु-बा-रु होकर इज़हार नहीं किया
फिर किताब में यह रखा गुलाब किसका है.
कहते हो मेरी तस्वीर नहीं है तुम्हारे सिरहाने
न मेरी तस्वीर को तुम चूमते हो
फिर तुम्हारे होंठों पर यह निशान किसका है.
अंजान शहर - अंजान लोग
फिर भी तुम्हारी नज़रें कुछ ढूंढती हुई?
यहाँ तुझे इंतज़ार किसका है.
#रोमिल
फिर मुझे यह इंतज़ार किसका है.
सालों बीत चुके है पर तुमने कभी रु-बा-रु होकर इज़हार नहीं किया
फिर किताब में यह रखा गुलाब किसका है.
कहते हो मेरी तस्वीर नहीं है तुम्हारे सिरहाने
न मेरी तस्वीर को तुम चूमते हो
फिर तुम्हारे होंठों पर यह निशान किसका है.
अंजान शहर - अंजान लोग
फिर भी तुम्हारी नज़रें कुछ ढूंढती हुई?
यहाँ तुझे इंतज़ार किसका है.
#रोमिल
No comments:
Post a Comment