कल यह लहरें मुझसे पूछ रही थी
रोज़ नदी किनारे दोनों हाथ पकड़कर आते हो
फिर किसी दीवार का सहारा लेकर पीठ के बल दोनों बैठ जाते हो
देर तक मुझे निहारते हो
एक दूसरे से प्यार-दर्द-हमदर्दी भरी बातें करते हो
कभी आइसक्रीम,
कभी लइया-चना,
तो कभी चाय का लुफ्त उठाते हो.
आख़िर कौन सा रिश्ता तुम निभा रहे हो?
पैर के घुटने पर कभी छोटे बच्चों के जैसे अपना सर रख देते हो
तो कभी हाथों की उँगलियों की मालिश करते हो
कभी बालों को कंघी से काढ़ते हो
कभी बूढ़ी-धसी हुई आँखों में काज़ल लगाते हो
तो कभी हथेलियों पर मेहंदी सजाते हो.
आख़िर अम्मा से कौन सा रिश्ता तुम निभा रहे हो?
रोमिल, आख़िर कौन सा रिश्ता तुम निभा रहे हो?
#रोमिल
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