Wednesday, September 29, 2010

मैंने मोहब्बत के अंगारों को इस कद्र भड़का रखा है.

इस तरह उसको छुपाये रखा है
मैंने सीने में अंगारा दबाये रखा है.
*
वोह तो जानता ही नहीं दर्द मेरा
मैंने इज़हार-ए-इश्क होंठों में छुपाये रखा है.
*
उसको पा जाऊ यही दिल-ए-आरज़ू है मेरी
हर दुआ में बस उसका नाम रखा है.
*
मेरा पता ठिकाना पूछने वालों
उसकी आँखों की झीलों में मेरा पता रखा है.
*
मेरी आँखों से टपकते है उसकी यादों के शोले
मैंने मोहब्बत के अंगारों को इस कद्र भड़का रखा है.
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2 comments:

  1. balle balle nawab sab, naam karn mast kiya hai aapne mera, rajraniye,liked it,


    take care, n be happy

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  2. chalo yeh jaan kar khushi hue ki RAJRANIYE JEE aapke hoonton par muskaan aaye...

    rabba rakha...

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