न कोई पैग़ाम
न कोई हालचाल संग लाये...
*
किससे कहे अपनी रात का आलम
वो चाँद तो बनकर आये
मगर चांदनी संग न लाये.
*
लेना चाहता था उनसे लम्हा-लम्हा का हिसाब
वो साथ अपने पहचान तक न लाये.
*
प्यार तो किया था हमने उनसे बेशुमार
पर वो मेरे प्यार की कद्र न समझ पाए.
#रोमिल
shiqayat humain bhi zndge se nahi,
ReplyDeletejee rahe hain magr khushi se nahi,
dukh bhi diya har shaqs ne humko,
aur khafa bhi hum kisi se nahi