Thursday, October 7, 2010

यारों...

मेरा दिल मुहब्बत-ए-समुन्दर हैं यारों
इसमें ज़हर न घोलो यारों...
*
मेरी मुहब्बत बेशकीमती हैं यारों
इसको दौलत के तराजू में न तौलो यारों...
*
जो नज़र मुझसे गुफ्तगू करती हैं यारों
उसे चारदिवारी  में न बंद करो यारों...
*
इस तरह मौज-ए-किश्ती में न फिरो यारों...
डूबते हुए को भी सहारा न दे सको यारों...
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