Friday, October 22, 2010

नाज़... चलो कुछ स्थिति सुनाता हूँ...


क़दम क़दम पर वोह आँखें बिछाए खड़े थे
अपने यार के इंतज़ार में वोह बाहें फैलाये खड़े थे...
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कभी नूर - ए - चेहरे को दिखाना  
कभी दुपट्टे से चेहरे को बांधना    
कभी चोरी की निगाह से हमको देखना
माशाल्लाह
कितनी अदाएं लपेटे हुए थे...
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वोह झुकती नज़रों से किताब को पढ़ना
तेज़ हवा में पन्नो का फड-फड़ाना 
वोह चश्मे का बस के फ्लोर पर गिरना
उसकी जुबान से रब का नाम निकलना
बहुत खूबसूरत पल थे वोह...
बहुत खूबसूरत पल थे वोह... 

#रोमिल

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