Friday, October 8, 2010

मैं जिस मुहब्बत को तलाशता हूँ

मैं जिस मुहब्बत को तलाशता हूँ
मेरे दोस्तों तुम भी उससे तलाशो
मिल जाएगी वोह कहीं तलाशते-तलाशते ....
*
कोइए फूल होगी वोह
कोइए चाँद होगी वोह
तुम जलाते रहना नैनो के दिए उसे तलाशते-तलाशते .... 
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हुस्न की रोशनी से न मन को मैला करना  
यह शहर हैं आइनों का
सबकी नज़र से खुद को बचा के रखना उसे तलाशते-तलाशते....
*
हर राह गुलशन होगी तेरी
खुदा भी होगा तेरा निगेबाह उससे तलाशते-तलाशते.... 
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