मैं जिस मुहब्बत को तलाशता हूँ
मेरे दोस्तों तुम भी उससे तलाशो
मिल जाएगी वोह कहीं तलाशते-तलाशते ....
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कोइए फूल होगी वोह
कोइए चाँद होगी वोह
तुम जलाते रहना नैनो के दिए उसे तलाशते-तलाशते ....
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हुस्न की रोशनी से न मन को मैला करना
यह शहर हैं आइनों का
सबकी नज़र से खुद को बचा के रखना उसे तलाशते-तलाशते....
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हर राह गुलशन होगी तेरी
खुदा भी होगा तेरा निगेबाह उससे तलाशते-तलाशते....
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