बेवफा ज़माने से जो की थी वफ़ा
मुझे तो धोखा खाना ही चाहिए था...
उससे यूँ न जाना चाहिए था
मुझे और तरफाना चाहिए था...
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बहुत हैरत हुए उसका मासूम सा चेहरा देख कर
खुदा तुझे शैतान को इतना मासूम न बनाना चाहिए था...
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अजब था यह मुहब्बत का सफ़र अपना
बंद कमरों में यूं न आंसू बहाना चाहिए था...
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ये उसकी हार थी या फिर मेरी जीत दोस्तों
किसी की सच्ची मुहब्बत को ऐसा न ठुकराना चाहिए था...
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