मोहब्बत में मेरा बहुत नाम हो गया
इस कदर मैं बदनाम हो गया...
लोग रुक रुक कर पूछते हैं हाल मेरा
ऐसा मैं दिल-ए-बीमार हो गया...
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साथ रहा मेरे और न समझा दिल की बात
न जाने कैसा फासला-आम हो गया...
मैं सोचा ज़िन्दगी खुश-ए-समुन्दर होगी
हर पल मेरा गमो का गुलदान हो गया....
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जो मेरी नज़र में इंसान भी न बना दोस्तों
सुना हैं वोह किसी का खुदा हो गया...
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