Tuesday, November 16, 2010

कितना मुश्किल होता हैं

उजड़े हुए वृक्ष पर कोयल का बोलना
कितना मुश्किल होता हैं
मकान को घर बोलना...
*
साथ चलने वाले को कभी परखा नहीं
कितना मुश्किल होता हैं
उसे हमसफ़र बोलना...
*
पैसे और औदे की बैसाखी पहने हुए
कितना मुश्किल होता हैं
उसे सरकार बोलना...
*
चाँद सिक्को में बेच दी शहीदों की क़ुरबानी
कितना मुश्किल होता हैं
उसे आदर्श सोसाइटी बोलना...
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1 comment:

  1. guddddd g gudddd

    kash muje mlum ho jye,
    tri soch ka ishra,
    to mai khud ko trashhu,
    tri andaz-e-nzr se

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