Thursday, December 16, 2010

दौर चल रहा है...

ज़िन्दगी का सफ़र उदास चल रहा है
ख़त नहीं आते उसके
न जाने कैसा बेरुकी का दौर चल रहा है...
*
काश वोह ख़त में एक गुलाब रख देता
अपना प्यारा लब साथ रख देता
खवाइश के कत्ल का दौर चल रहा है...
*
काश खुदा मुझे सजा सुना दे मोहब्बत की
मुझे रूबरू कर दे मेरे कातिल के
बस यही आज कल दुआ का दौर चल रहा  है...
[WRITTEN BY ROMIL - COPYRIGHT RESERVED]

2 comments:

  1. ye dil to kisi aur desh ka parinda ha ,
    seene me to rhta hai pr bs me nahi

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  2. LAJAWAB...

    hai to yeh mera apna
    fir bhi kisi aur ke liye dhadakta hai...
    yeh dil hai paagal dil mera...

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