Friday, December 31, 2010

सोचा की मर जाते हैं...

बेटों के आगे कुछ न कर सका तोह सोचा की मर जाते हैं...
घर नहीं
यह कब्र तोह अपने महबूब के नाम कर जाते हैं...
*
दिए की तरह जलता रहा उम्र भर
जब सवेरा हुआ तोह सोचा की अब भुझ जाते है...
*
मुस्कुराया इतना कि सब उसकी मुस्कराहट के कायल हो गए
जाते जाते सोचा की साथ आँखों में आंसू दे जाते है...
*
क्या नहीं था उसके पास इस जहाँ में
दोस्त था 
प्यार था
ऐशो आराम था
बस एक रब नहीं था
सोचा की चलो उससे मिलाने जाते है...
[WRITTEN BY ROMIL - COPYRIGHT RESERVED]

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