Thursday, December 30, 2010

उसके इत्र की खुशबू आती रही रात भर

उसके इत्र की खुशबू आती रही रात भर
यह सर्द हवा भी कहीं दूर से उसका संदेशा लाती रही रात भर...
*
मैं चादरों में लिपटा रहा रात भर
बदन को उसकी तस्वीरों से रगड़ता रहा रात भर...
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उसके हंसी के फूलों की महक मैं लेता रहा रात भर
खवाबों के महल में मदहोश रहा मैं रात भर..
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चांदनी रात, सितारों का आलम आसमा में रहा रात भर
मेरे बिस्तर पर भी कोइए परी बैठी रही रात भर...
[written by Romil - copyright reserved]

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