लुफ्त भी क्या सर्दिओं के हुआ करते थे - III
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लुफ्त भी क्या सर्दिओं के हुआ करते थे
जलती हुई आग में हम आलू भुना करते थे
गरम-गरम रसगुल्ला जब हम जुबान में रखकर सु-सु करके चिल्लाते थे
जब नया स्वेअटर पहन कर हम इतराते थे
क्लास से निकल कर हम बाहर ग्रौंद में बैठकर पढ़ा करते थे...
लुफ्त भी क्या सर्दिओं के हुआ करते थे...
[written by romil - copyright reserved]
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