Tuesday, December 28, 2010

सनम, हम तोह आज भी सिर्फ तुमसे मोहब्बत करते हैं...

तुमसे ज्यादा हम गिला अपने नसीब से करते हैं
बेवफा हुई तोह क्या हुआ
सनम, हम तोह आज भी सिर्फ तुमसे मोहब्बत करते हैं...
*
ज़िन्दगी-ए-सफ़र मुश्किल हैं 
फिर भी जी रहे हैं तेरी याद में
तेरी याद में सफ़र हम करते हैं
सनम, हम तोह आज भी सिर्फ तुमसे मोहब्बत करते हैं...
*
यही दिल-ए-बर्बाद की उम्मीद थी
कि तेरा दीदार हो जाये
इसी ख्याल-ए-सफ़र में हम चाँद को निहारा करते हैं
सनम, हम तोह आज भी सिर्फ तुमसे मोहब्बत करते हैं...
*
लौट आओगे किसी दिन तुम भी मेरे पास
इसी ख़यालात में हम घर के दरवाज़े खुले रखते हैं
सनम, हम तोह आज भी सिर्फ तुमसे मोहब्बत करते हैं...
[written by romil - copyright reserved]

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