तुमसे ज्यादा हम गिला अपने नसीब से करते हैं
बेवफा हुई तोह क्या हुआ
सनम, हम तोह आज भी सिर्फ तुमसे मोहब्बत करते हैं...
*
ज़िन्दगी-ए-सफ़र मुश्किल हैं
फिर भी जी रहे हैं तेरी याद में
तेरी याद में सफ़र हम करते हैं
सनम, हम तोह आज भी सिर्फ तुमसे मोहब्बत करते हैं...
*
यही दिल-ए-बर्बाद की उम्मीद थी
कि तेरा दीदार हो जाये
इसी ख्याल-ए-सफ़र में हम चाँद को निहारा करते हैं
सनम, हम तोह आज भी सिर्फ तुमसे मोहब्बत करते हैं...
*
लौट आओगे किसी दिन तुम भी मेरे पास
इसी ख़यालात में हम घर के दरवाज़े खुले रखते हैं
सनम, हम तोह आज भी सिर्फ तुमसे मोहब्बत करते हैं...
[written by romil - copyright reserved]
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