Thursday, January 6, 2011

सर्द की रातों का अजब तजुर्बा मिला

सर्द की रातों का अजब तजुर्बा मिला
वो रही नज़रों के सामने
गर्मी का एहसास मिला...
*
फिर हवा खींचकर लाई उसे मेरे पास
काँपते हुए बदन को सहारा मिला...
*
आसमां ने भी गिरा दिए बारिश की बूँदें
छुपने को न कोई किनारा मिला...
*
बस एक बिजली गिरी और वो लिपट गई मुझसे
धुंध में भी मौसम सुहाना मिला...

#रोमिल

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