Sunday, January 16, 2011

रिश्तों में तो दरार आनी ही थी...

रिश्तों में तो दरार आनी ही थी
रूठकर मुझसे किस्मत जानी ही थी...

माँ न रही माँ
भाई न रहा भाई
हमसफ़र भी साथ छोड़कर मेरा, जानी ही थी
रिश्तों में तो दरार आनी ही थी
रूठकर मुझसे किस्मत जानी ही थी...

मेरे मिटने का उनको ग़म न था
आँखों में न आँसू थे
लबों पर एक हमदर्दी का शब्द न था 
ढूँढा लाख मिला न कोई एक दोस्त सच्चा
मुझे तो दोस्तों से पथ-पथ पर ठोखर खानी ही थी
रिश्तों में तो दरार आनी ही थी
रूठकर मुझसे किस्मत जानी ही थी...

रोमिल मत करो गिला किसी से तुम
कच्चे घड़े हैं यह रिश्ते
बरसात में बह जाने ही थे 
रिश्तों में तो दरार आनी ही थी
रूठकर मुझसे किस्मत जानी ही थी...

#रोमिल

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