उफ़... वो बरसाती रात
अकेले कमरे में दो बदन एक साथ
हवा थी जोरो पर
चारों ओर दूर तक सन्नाटा साथ
बिजली कड़कती हुई
पत्ते फडफडाते हुए
खुलती-बंद होती खिड़की का साथ
अँधेरे का फैलना
बादलों का छा जाना
बिजली का गुप हो जाना
जलती हुई मोमबत्ती का साथ
उफ़... वो बरसाती रात
अकेले कमरे में दो बदन एक साथ...
#रोमिल
No comments:
Post a Comment