Tuesday, February 1, 2011

रूह से रूह की मोहब्बत करने चला था वोह...

रूह से रूह की मोहब्बत करने चला था वोह
खुशबू को पकड़ने चला था वोह...
*
चहरे से तोह हसीं बहुत मिले
दिल से हसीं ढूँढने चला था वोह...
*
मिलती हैं जहाँ मोहब्बत भी दौलत से 
उस जहाँ में 
खुदा से मोहब्बत मांगने चला था वोह...
*
बड़ा अजीब शख्स था वोह रोमिल
वफ़ा करके, वफ़ा चाहने चला था वोह...
[written by romil - copyright reserved] 

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