Wednesday, February 2, 2011

कहीं दूर से आई थी...

नाज़... आपको एक टाइम पास सुनते है...

मेरे घर की मुन्देरी पर एक चिड़िया आकर बैठी थी
कहीं दूर से आई थी
थोड़ी भूखी थी
थोड़ी प्यासी थी.
*
बार - बार पंख फैला कर
ची ची ची ची कर शोर मचाई थी 
अपने आने का संदेश सुनाई थी
कहीं दूर से आई थी
थोड़ी भूखी थी
थोड़ी प्यासी थी.
*
माँ ने उसके लिए कटोरों में चावल, पानी रख दिया
बड़ी चाव से वोह चावल खायी थी
पानी पी थी
फिर उसी कटोरे के पानी में खूब डूब के नहाई थी
कहीं दूर से आई थी
थोड़ी भूखी थी
थोड़ी प्यासी थी.
[WRITTEN BY ROMIL - COPYRIGHT RESERVED]

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